बसंत पंचमी स्पेशल:

वसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती कामदेव और विष्णु भगवान की पूजा की जाती है हर जगह इस त्यौहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है यह त्यौहार विशेष रूप से भारत ,बांग्लादेश, नेपाल समेत कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। पुराने शास्त्रों और काव्य ग में वसंत पंचमी का अलग-अलग ढंग से चित्रण मिलता है।

पुराने समय से ही भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह ऋतुओं में बांटा जाता है उनमें से बसंत लोगों का सबसे मनमोहन मौसम होता है जब फूलों पर बाहर आ जाती है खेतों में सरसों के फूल मानव सोने जैसे चमकने लगते जो और गेहूं की बालियां खेलने लगते हैं आमों के पेड़ों पर बोर आने लगते हैं और हर तरफ तितलियां मंडराने लगते हैं।

कब मनाई जाती है वसंत पंचमी :

हिंदू धर्म के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन वसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज ही के दिन ज्ञान दायिनी मां सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था आज ही के दिन से बसंत ऋतु का आगमन भी माना जाता है जो सभी ऋतुओं की राजा कहलाई जाती है इस ऋतु में वर्षों में नए-नए पल्लव आने लगते हैं और सर्दी का मौसम विदाई लेने लगता है प्रकृति अपना स्वरूप बदलकर दूसरे स्वरूप में आने लगती है जिससे मनुष्य उत्साही और प्रसन्नचित हो जाते हैं।

इस बार बसंत पंचमी का त्योहार 13 फरवरी से दोपहर 2:45 से आ रहा है और लोग इसे 14 फरवरी को मानने वाले हैं। हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा होती है। अगर हम माघ मास की बात करें तो इस महीने का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है इसी महीने में आने वाली वसंत पंचमी को किसी शुभ कार्य के लिए सही समय माना जाता है। यह दिन मुख्य रूप से विद्या आरंभ एवं गृह प्रवेश के लिए अत्यंत शुभ है।

बसंत पंचमी से जुड़ा हुआ वैदिक और आध्यात्मिक महत्व :

हिंदू धर्म में हर त्यौहार का एक आध्यात्मिक और वैदिक महत्व होता है उसी प्रकार वसंत पंचमी का भी एक अलग ही वैदिक महत्व है धार्मिक वेद एवं पुराणों में बसंत पंचमी पर्व के महत्व के विषय में विस्तार से बताया गया है बता दें कि भारत में 6 मुख्य रितु है जिनमें से वसंत ऋतु को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है ऐसा इसीलिए क्योंकि वसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के जिह्वा से वाणी ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती को प्रकट किया गया था। यही कारण है कि इस दिन माता सरस्वती की विशेष विधि विधान से पूजा की जाती है साथ ही मान्यता यह भी है कि इस विशेष दिन पर शिक्षा या संगीत से संबंधित चीजों की भी पूजन की जाती है।

इस विशेष दिन पर शिक्षा और संगीत से संबंधित सभी वस्तुओं की पूजा करने से भी व्यक्ति को लाभ मिलता है और उसे इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है एवं मां सरस्वती का आशीर्वाद सदा बना रहता है साथ ही इस दिन से पृथ्वी पर नवीनता का पुनः सृजन होता है पेड़ पौधों में नए और सुंदर पुष्प आने लगते हैं। वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व माना जाता है।

बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व :

जिस तरह बसंत पंचमी का आध्यात्मिक और वैदिक महत्व है इस तरह सनातन धर्म के सभी त्योहारों का एक वैज्ञानिक महत्व भी है। अगर बसंत पंचमी के वैज्ञानिक महत्व की बात की जाए तो ठंड की अनुभूति कम होने लगती है और मौसम में संतुलन बना रहता है। इसके साथ वसंत पंचमी पर्व के दिन पीले रंग का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है। हिंदू धर्म में इस रंग का महत्व बहुत अधिक है किंतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस रंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। पीले रंग से वैज्ञानिक सोच के अनुसार डिप्रेशन दूर करने में सबसे ज्यादा मदद मिलती है। साथ ही यह दिमाग को पूर्णता सक्रिय रखने में मददगार साबित होता है इस रंग से आत्मविश्वास में वृद्धि भी होती है।

बसंत पंचमी पर पीला रंग रखता है विशेष महत्व :

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती को समर्पित यह दिन वसंत पंचमी, वसंत मौसम की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं में पीले रंग को समृद्धि ,ऊर्जा ,प्रकाश और आशीर्वाद का प्रतीक माना गया है। पीला रंग वसंत पंचमी से बहुत ज्यादा जुड़ा हुआ माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीले रंग का बहुत महत्व है पीला रंग उत्साह बढ़ता है, दिमाग को सक्रिय रखता है, यह रंग मन को मजबूत करता है, यह रंग हमारे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, जिसे दिमाग में सेरोटोनिन हार्मोन निकलता है। इसके साथ ही पीला रंग मानसिक तनाव को भी दूर करता है वहीं अगर फलों की बात करें तो पीले रंग की सब्जियां और फल कई बीमारियों से बचाने में भी मददगार साबित होते हैं।

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