चंद्रयान 3 मिशन में चंद्रयान लगातार अपनी कक्षाएं बदल रहा है। चंद्रयान-3 ने चौथी बार अपना ऑर्बिट बदल लिया है और वह चांद के और ज्यादा करीब पहुंच चुका है। इससे पहले वह 150किलोमीटर × 177किलोमीटर चंद्रमा से दूर था। आज वह 153 किलोमीटर× 163 किलोमीटर दूर है।
चंद्रयान-3 मिशन अपने सही ट्रैक पर जा रहा है जैसा-जैसा इसरो ने सोचा था। अभी तक वैसा ही पाथ फॉलो कर रहा है। 17 अगस्त को चंद्रयान 3 ,प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होगा और 23 अगस्त को चंद्रमा के काले हिस्से यानी डार्क साइड पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। वहां वह चंद्रमा पर आने वाले ज्वालामुखियों का अध्ययन करेगा और उसकी मिट्टी का अध्ययन करेगा।
इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में ही चक्कर लगता रहेगा और पृथ्वी पर स्थित इसरो से भेजे गए सिग्नलओ और संदेशों को पड़ेगा और उसके अकॉर्डिंग काम करेगा।
बता दें कि chandrayaan-3 के तीन हिस्से हैं जिसमें लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल है। लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे और वहां पर जांच पड़ताल करेंगे। इसके अलावा प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में ही चक्कर लगाता रहेगा।
चंद्रयान-3 मिशन अब अपने अंतिम चरणों में है चंद्रयान 3 , 17 अगस्त को वह अपना एक और चरण पूरा करेगा। फिर 23 अगस्त को वह चंद्रमा पर लैंड करके भारत का नाम इतिहास में दर्ज़ कराएगा। भारत अब इतिहास रचना से कुछ ही कदम दूर है।