जिनको भी बागवानी का शौक है वह कुछ बातों का ध्यान रखकर अपने पेड़ पौधों और गमले में लगे पौधों का ध्यान रख सकते हैं गमले की मिट्टी बदलने का समय बरसात के बाद और फरवरी मार्च के मध्य का माना जाता है कुछ पौधे ऐसे हैं जिनकी मिट्टी बदलने की जरूरत नहीं होती जैसे कैक्टस रबर और स्नेक प्लांट लेकिन कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनकी मिट्टी मृत हो जाती है और हमें उनकी मिट्टी बदलने की जरूरत होती है जिससे कि पौधे अच्छी तरह बना सकते हैं।
जो पौधे धीमी गति से बढ़ते हैं उनकी मृत्यु कई सालों तक बदलने की आवश्यकता नहीं होती है हालांकि मिट्टी की गुणवत्ता के कारण पौधों को अधिक पोषक तत्व मिलते हैं अगर पौधे कई महीनो से बढ़ नहीं रहे हैं या उनमें बघवार नजर नहीं आ रहा है तो आप पौधे की मिट्टी बदल ही दिन तो बेहतर होगा फिर आप देखेंगे कि पौधों की बढ़त जल्दी होने लगेगी।
इन पौधों की मिट्टी को जरूर बदलें:
मिट्टी बदलने से पहले आपको यह जानना जरूरी होगा कि किन पौधों को मिट्टी बदलने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। हमें पता है कि सभी को गुलाब के पौधे और गुलाब के फूल काफी पसंद आते हैं सभी को अपने घरों में गुलाब लगाना बहुत ही ज्यादा पसंद होता है गुलाब एक ऐसा पौधा है जिसमें कांटे होते हैं लेकिन उसका फुल उतना ही खूबसूरत और सुंदर होता है इसीलिए अगर आप गुलाब का पौधा अपने घर में लगा रहे हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें।
जैसा कि गुलाब के पौधे की कटाई छटाई समय-समय पर होती रहती है और हमें करना भी चाहिए उसके बाद गुलाब की मिट्टी बदली जाती है सबसे पहले पुरानी मिट्टी को गमले से निकाल कर बाहर कर देते हैं फिर इसके लिए मिट्टी गोबर खाद और केंचुए वाली खाद बन मिल सब सरसों की खली और रेट मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है फिर इसे गमले में भरा जाता है ऐसा करने से आपका पौधा हेल्दी रहता है और अच्छी तरह से बढ़ता है साथ ही पौधे में फूल भी खूब अच्छे आते हैं।
पौधों की मिट्टी कब बदली जाती है यह भी जानना जरूरी है:
- मिट्टी में ज्यादा पानी हो गया हो तब मिट्टी को बदल लेना चाहिए।
- गमले के जल निकासी छेद से जड़ी बाहर निकली हुई दिखाई दे रही हो तब भी गमले की मिट्टी को बदल लेना चाहिए।
- बढ़ाने के मौसम में पौधों का विकास रुका हुआ दिखाई दे तब आपको पौधे के गमले की मिट्टी जरूर बदलनी चाहिए।
- पौधे के फलने फूलने वाले दिनों में जब इसमें फूल आना बंद हो जाए तब या फल या फूल नहीं आ रहे हो तब भी आपको इसकी मिट्टी को बदल लेना चाहिए।
- बड़े पौधे को पानी देने के बाद भी पौधा मुरझाया हुआ दिखाई दे रहा हो तब यह मिट्टी एक कारण हो सकती है इसीलिए इसमें आप नई मिट्टी को भरें।
कैसे करें मिट्टी का चुनाव:
पौधों की मिट्टी बदलते समय पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग करें दरअसल जब पौधा लंबे समय तक एक ही माध्यम या मिट्टी से पोषक तत्व ग्रहण करता है तो उसे मिट्टी के सभी पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं और उसे मिट्टी में पोषक तत्वों की भारी कमी हो जाती है इसके अतिरिक्त पुरानी हो चुकी मिट्टी में वायु का संचार भी सही से नहीं होता। जिसके कारण मिट्टी गीली रहती है।
कई बार हम देखते हैं कि जब मिट्टी से पानी छानकर नीचे नहीं निकलता तो ना वह अपनी पौधों को सही से मिल पाता है और ना ही पौधों की बढ़ोतरी होती है साथ यह ऊपरी मिट्टी को सदा नहीं लगता है और मिट्टी में कई जमने लगती है। इसीलिए पौधे को दोबारा गमले से लगाने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का उपयोग ही करना चाहिए।
मिट्टी को तैयार करने के सही तरीका क्या है और ध्यान रखें यह बातें:
- अगर चिकनी मिट्टी है तो यह अधिक मात्रा में नहीं नमी को बनाए रखती है लेकिन चिकनी मिट्टी के महीन कर आपस में चिपक जाते हैं जिससे जल और हवा को जड़ों तक पहुंचाने के लिए कम जगह मिलती है इससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पौधा मर जाता है इसीलिए इस मिट्टी में रेत और ऑर्गेनिक खाद मिलाई जाती है।
- अगर मिट्टी रहती ली है तो यह पौधों की जड़ों का को भरपूर हवा पहुंचती है परंतु अधिक रेतीली मिट्टी जल्दी नमी और पोषक तत्वों को खूब ही देती है इसीलिए इसमें गोबर खाद और वर्मी कंपोस्ट मिलने से यह मिट्टी अच्छी उर्वरक बन जाती है और गमले के लिए सही रहती है।
- मिट्टी तैयार करते समय नाइट्रोजन के अच्छे स्रोत के रूप में आप मिट्टी के साथ अलसी की खाली बोन मील और नेम केक पाउडर भी मिल सकते हैं।
- मिट्टी तैयार करते समय ताजी गोबर की खाद का उपयोग न करें इससे पौधों को नुकसान पहुंच सकता है और मिट्टी में रोगाणुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है साथ ही है पौधे को मार भी सकता है इसीलिए आप गोबर की खाद डायरेक्ट ना डालकर सूखे गोबर को पानी में मिलाकर डाल सकते हैं।
- और इतने खाद मिलते समय मिट्टी नाम होना चाहिए गली नहीं।