शुक्रवार 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 की पृथ्वी की कक्षा में लॉन्चिंग सफल रही। इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने के लिए हजारों लोग देश भर से श्रीहरिकोटा पहुंचे और इस शरण के साक्षी रहे देशभर से लोगों ने टीवी और सोशल मीडिया के जरिए यह महोत्सव मनाया फ्रांस में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमारे देश के वैज्ञानिकों और देश को अंतरिक्ष यात्रा का सुनहरा मौके पर बधाई दी। अब chandrayaan-3 42 दिन तक पृथ्वी और चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए चंद्रमा तक पहुंचेगा और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ बताते हैं कि: रॉकेट ने chandrayaan-3 को छठी कक्षा में पहुंचा दिया है इसके तहत वेग सभी वैज्ञानिक दिन-रात chandrayaan-3 के अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर ढांचा बनाने में जुटे रहे ,घर जाने का किसी को मौका नहीं मिला। यह सफल लॉन्चिंग इन्हीं के समर्पण बुद्धिमानी व मेहनत का नतीजा है। टीम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुत्थुबा के अलावा 29 एसोसिएट व डिप्टी डायरेक्टर थे 55 प्रोजेक्ट मैनेजर थे। एसोसिएट डायरेक्टर कल्पना की अहम भूमिका रही इसलिए चंद्रयान की सफल लॉन्चिंग के बाद वीरमुथुबल ने कल्पना को मंच पर ही बुला लिया।

अब बता दें कि 1 अगस्त को चंद्रयान चंद्रमा की परिक्रमा शुरू करेगा। 5 दिन में यह परिक्रमा की बाहरी कक्षा में पहुंचेगा 17 अगस्त को चंद्रयान का प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर मॉडल से अलग होगा। 23 अगस्त शाम 5:45 चंद्रमा की सतह पर उतर जाएगा।

चंद्रयान-3 धरती और चंद्रमा के पांच पांच चक्कर लगाएगा। 42 दिन में चंद्रयान 4 लाख किलोमीटर की यात्रा तय करेगा और चंद्रमा पर पहुंचेगा। 100 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश करने के बाद विक्रम लैंडर व प्रज्ञान रोवर मॉड्यूल से अलग होंगे। इसी दिन गति धीमी करने का कमांड दी जाएगी। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरना शुरू करेगा। इस लैंडिंग पर चंद्रयान-2 का औरबटर निगरानी रखेगा । बता दें कि इस बार चंद्रयान-3 का लैंडर पहले से ज्यादा एडवांस बनाया गया है।

चंद्रयान 3 के काम: बता दें कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि इस इलाके में चांद के इस हिस्से में सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती और हमेशा इस एरिया में इस हिस्से में अंधेरा रहता है तापमान भी शून्य से -235 डिग्री तक रहता है इसी वजह से यहां पर लैंडिंग करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। और अब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कोई भी देश लैंडिंग नहीं कर पाया है। अगर भारत का चंद्रयान 3 मिशन सफल रहा तो भारत देश विश्व का पहला देश बन जाएगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग कराने का मकसद यह है कि पानी के प्रमाण खोजें जाएं और सौरमंडल की उत्पत्ति के रहस्य खुल सकें और इंसानी कॉलोनी बनाने की संभावनाएं पता चल सके। यहां की मिट्टी से सौरमंडल की उत्पत्ति के राज खुल सकते हैं मनुष्य को बसाने की संभावना पैदा होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *