इसरो अपने सूर्य मिशन “आदित्य L 1” की कक्षाओं को लगातार बढ़ा रहा है। इसरो ने 3 सितंबर को आदित्य L 1 की कक्षाओं में बदलाव किए थे और थ्रस्टर फायर करके आदित्य की कक्षा को बढ़ाया था। इसी तरह 16 दिनों तक आदित्य पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। 5 सितंबर को इसरो के वैज्ञानिक एक बार फिर आदित्य की कक्षा को बदलेंगे और बढ़ाएंगे। इसमें वह आदित्य के इंजन को दोबारा शुरू करेंगे। थ्रेस्टर फायर के द्वारा जिससे वह अपने ऑर्बिट को बदल देगा।
16 दिन तक इसी तरह आदित्य L 1 अर्थ की कक्षा में चक्कर लगाएगा और फिर वह 15 लाख km की दूरी तय करके सूर्य की ओर बढ़ेगा। वहां पर लैंगरेज पॉइंट L 1 में इसे स्थापित किया जाएगा। वहां रहकर आदित्य कई तरह से अध्ययन करेगा और इसकी जानकारी इसरो तक पहुंचाएगा। बता दें कि 3 सितंबर को जब इसरो ने इसकी कक्षा को बढ़ाया तब स्पेसक्राफ्ट की ऑर्बिट बढ़ने पर इसकी पृथ्वी से दूरी 245 km × 22459 km की कक्षा में आ गई।
चांद के मिशन चंद्रयान-3 के बाद अब इसरो ने सोलर मिसन लॉन्च किया है। जिसके द्वारा वह अब सूर्य का अध्ययन करेंगे और सूर्य के प्रमुख तथ्य खोजेंगे।
बता दें कि इसरो ने अब चंद्रयान-3 को स्लीप मोड में डाल दिया है। चंद्रयान 3 मिशन में रोवर चांद की दक्षिणी ध्रुव पर 14 दिनों तक का था। वह अब पूरा हो चुका है चंद्रयान तीन के रोवर को अब स्लीप मोड में डाल दिया गया है क्योंकि अब चांद के इस हिस्से में रोशनी नहीं पहुंच पाएगी और वह अंधेरे से गिर जाएगा। जिससे कि चंद्रयान-3 के रोवर को चार्ज होने के लिए सूर्य की रोशनी नहीं मिल सकेगी।
बता दें कि रोवर में सोलर पैनल लगे हुए हैं। जिससे कि यह सूर्य की रोशनी के द्वारा चार्ज होता है और आगे बढ़ता है लेकिन अब इस हिस्से में रात हो जाने के कारण रोशनी नहीं आ पाएगी और सोलर पैनल काम नहीं कर पाएंगे। जिससे कि इस हिस्से का तापमान बहुत ही ज्यादा कम हो जाएगा और अत्यंत ठंड बढ़ जाएगी जिससे कि रोवर के कई हिस्सों के खराब होने का खतरा भी बना है।